होली क्या है और हमें से क्यों मनाते हैं और इसका महत्व क्या है आइए देखते हैं
होली के पावन पर्व है और इस दिन हम सब साथ साथ होली मनाते हैं ना किसी से दुश्मनी रखते हैं
सब एक हो जाते हैं होली के दिन एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं रंग लगाते हैं
गले मिलते हैं और सुंदर सुंदर कपड़े पहनते हैं
"होली की कथा और इसे क्यों मनाते हैं"
होली की कथा में एक पौराणिक कथा है जिसके महत्व में हम आपको बता रहे हैं और हम इसे क्यों मनाते हैं
बताया गया है के हिरण्यकश्यप का बेटा प्रहलाद था
प्रहलाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था वह श्री हरि की आराधना करता था इस बात से उसके पिता हिरण्यकश्यप नाखुश थे
हिरण्यकश्यप खुद को भगवान मानता था और कहता था कि सभी मेरी पूजा करें अपने बेटे प्रह्लाद से अपनी पूजा करने के लिए कहता था
लेकिन हिरण्यकश्यप का पुत्र पहलाद श्रीहरि का भक्त था यह बात उस को पसंद नहीं थी और
हिरण्यकश्यप की बहन होलिका जिसे वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जा सकती अपनी बहन को बुलाया और
अपने ही पुत्र को होलिका के साथ अग्नि में बैठा दिया लेकिन भक्त पहलाद श्री हरि के बहुत बड़े भक्त थे
जिसकी वजह से आग में पहलाद नहीं चल सकी और हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ही इस आग में जल गई
और प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ इसी दिन हम होलिका दहन की पूजा करते हैं
और विधि विधान से अग्नि को जलाते हैं और अग्नि के चारों ओर परिक्रमा लगाते हैं
होली फागुन मास के पूर्णिमा को होलिका दहन करते हैं और उसके अगले ही दिन रंग से होली खेलते हैं सभी लोग
होली की पूजा मैं गोबर की बनाई गुलरी रखी जाती है और खेती से भी इसका महत्व है
क्योंकि मध्य रात्रि में जब हम होलिका दहन करते हैं तो जो को भी पूजते हैं और उन्हें बांटते हैं सभी लोगों को फिर गले मिलते हैं और राम-राम कहते हैं
"राधा कृष्ण की होली"
होली का महत्व इस बात से बढ़ता है कि राधा कृष्ण की होली ब्रज में धूमधाम से मनाई जाती है
यह होली 17 दिन तक लगातार मनाई जाती है कहते हैं कि बरसाने में राधा की आत्मा खुद लट्ठमार होली को देखने आती है
लठमार होली पुरुष और महिला बहुत जोरों से बनाते हैं लट्ठमार होली को इस तरीके से खेला जाता है
पहले पुरुषों औरतों को छेड़ते हैं और फिर महिला उन पर लट्ठ मारती है
राधा कृष्ण ने बी लठमार होली का चलन शुरू किया था और ब्रज की होली सबसे मशहूर होली है
मथुरा में खेले जाने वाली होली लगातार कई दिनों तक चलती है सब लोग धूमधाम से होली को मनाते हैं
नए वस्त्र पहनते हैं रंग बरसे आते हैं विधि-विधान से पूजा करते हैं
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